गुरुवार, फ़रवरी 25, 2010

ग्लोबल गुरू : स्वामी रामदेव

पेटूपन से ग्रस्त लोगों के लिए स्वामी रामदेव के प्रयोग 'रामबाणÓ हैैं
बिना किसी औषधि के, मात्र फूंक मारने यानि श्वास लेने-छोडऩे के विशेष प्रकार (प्राणायाम) के माध्यम एवं उठने-बैठने-लेटने की कुछ सरल मुद्राओं (योग आसन) के द्वारा अस्थमा, पार्किंसन, ल्यूकेमिया, थैलिसीमिया, स्तन कैंसर, गर्भग्रीवा कैंसर, आंत्र कैंसर, अर्श, संधिवात, आर्थराइटिस, गोएट्ï्ïस, ब्रेन ट्ï्ïयूमर, अंधत्व व मोतियाबिंद जैसे अनेक गंभीर व घातक रोगों को जड़ से मिटा देने वाले स्वामी रामदेव आजकल देश-धर्म-जाति की सभी सीमाओं को लांघते हुए ग्लोबल हो गये हैं। वे शरीर के समस्त रोगों का उपचार मात्र योगासन व प्राणायाम से करते हैं साथ ही अति विकट परिस्थिति में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग का भी परामर्श देते हैं।
भागमभाग की जीवन शैली, अनियमित खानपान, अनियमित दिनचर्या, असंयमित जीवनचर्या ने आज मानव को रोगी बना दिया है, जीभ के स्वाद और पेटूपन से ग्रस्त लोगों के लिए स्वामी रामदेव के प्रयोग 'रामबाणÓ की तरह अचूक हैं।
स्वामी रामदेव के कार्यक्रम प्रतिदिन लगभग सौ देशों में देखे जाते हैं। उनको टीवी पर देखकर योगासन प्राणायाम करके विश्व में करोड़ों लोग रोगमुक्त हो रहेे हैैं, अकेले अमेरिका में स्वामी रामेदव के एक करोड़ से अधिक अनुयायी हैं वे भारत में बालीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन से भी अधिक लोकप्रिय हैं, पाकिस्तान में वे सर्वाधिक लोकप्रिय भारतीय हैं। उनके शिष्यों में विश्व के अनेक शासन प्रमुख, उद्योगपतियों, चिकित्सकों, शिक्षाविदों सहित लगभग सारा अवाम है, जो उनके कार्यक्रम देखता है या शिविर 'अटेंडÓ करता है। योग क्रांति के इस पुरोधा के अनुयायियों की संख्या विश्वभर में लगातार बढ रही हैै। उन्होंने पश्चिम को भी सुखी, तनाव रहित और स्वस्थ जीवन के लिए भारत के प्राचीन योग से जोड़ दिया हैै।
वाशिंगटन से लंदन तक दरी बिछाकर सुखासन में रेचक प्राणायाम कर उड्डिड्डयान बंध लगाए अथवा अनुलोम विलोम व कपालभाति करते हुए पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस आदि में करोड़ों लोग स्वामी रामदेव के योगासन से अपने दिन की शुरुआत करते हैं।
अमेरिका से प्रकाशित 'योग जर्नलÓ के अनुसार आज अमेरिकी करीब 2.95 अरब डालर यानि लगभग 15 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष योग व उससे जुड़ी वस्तुओं सामग्री पर व्यय करते हैं। एक सर्वे के अनुसार इस समय अमेरिका में एक करोड़ 65 लाख लोग योगासन करते हैं जो वर्ष 2002 के मुकाबले 43 प्रतिशत अधिक हैै।
विश्व भर के लोगों ने माना है कि स्वास्थ्य के लिए जिम जाना एक थका देने वाला व्यायाम है जबकि योगासन-प्राणायाम अल्प समय में जीवनशक्ति से भरपूर सरल प्रक्रिया है। भारत में हजारों वर्ष पूर्व विकसित इस पद्धति को भूल भारतीय जिम की ओर आकर्षित हो गये थे, जो स्वामी रामदेव के प्रयासों से पुन: योग की ओर झुके हैं और जिम के दुष्प्रभावों से मुक्त हुए हैं। स्वामी रामदेव बताते हैं कि योग मात्र व आसन व प्राणायम का नाम नहीं है बल्कि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है, प्राण, ऊर्जा, श्वास व पूरे शरीर को साधने और चित्तवृत्तियों को रोकने का नाम योग है। जो अनुशासित जीवन की आधारशिला रखता हैै।
स्वामी रामदेव ने योग की दुरुह जटिलताओं से सरल और वर्तमान जीवनशैली के लिए आवश्यक आसन-प्राणायामों को सभी नागरिकों के लिए उन्हीं की भाषा में अभिव्यक्त किया है।
निश्चय ही उन्होंने मनुस्मृति के मनु कथन को सत्य कर दिखाया है कि भारत विश्व गुरू है और सभी को अपने अपने चरित्र की शिक्षा इससे लेनी चाहिए।
एतद्देश प्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मन:।
स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्ï पृथिव्यां सर्व मानवा:।।

मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

जग मन भोर भई!


जग मन भोर भई!

अस्त भए नभ के सब तारे!

पूरब से सूरज निकला रे!

चंद्रप्रभा भी गई!!

रुत प्रभात अरुणिमा छाई!

कुमुद लता सस्मित हर्षाई!

फिर हुई प्रीत नई!

जग मन भोर भाई!!

कोकिल कूके नाचे मोरा!

पुहपन पे मंडराए भोंरा!

रश्मि विशाल भई!

जग मन भोर भई!!

जब समीर चले पुरवाई!

हरियाली शाखें लहराई!

कोकिल कूकत जस शहनाई!

रुत बसंती चहुँ दिशी छाई!

रति फिर रित भई!!



चन्द्र शेखर शास्त्री

9312535000