शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

निशाने पर एन सी आर

निशाने पर एन सी आर


दिल्ली में पुलिस का दबाव और उत्तर प्रदेश व हरियाणा के सीमावर्ती इलाकों में बिना हील हुज्जत के, बिना जांच के किरायेदारी पर मिलते मकानों की सुविधा ने आतंकवादियों को राïष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र में फैलने का अवसर दे दिया है। यही कारण है कि आतंकवादी, गाजियाबाद ,मेरठ, लोनी, पिलखुवा, मसूरी, सिकंदराबाद, बल्लभगढ़ और आसपास के इलाकों को अपने लिए अतिसुरक्षित मानने लगे हैं क्योंकि यहां न तो पुलिस को आतंकवादियों से लडऩे का प्रशिक्षण प्राप्त है और न ही मकान मालिक किराएदारों की पुलिस जांच कराने की जरूरत समझते हैं।

राष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र उस लिहाज से भी सुरक्षित माना जाता है कि यहां आतंकवादियों को अपना नेटवर्क फैलाने के लिए स्थानीय लोग भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ मंडल में तो आलम ये हैै कि पाकिस्तान से लोग पर्यटक वीजा पर आते हैं और इस क्षेत्र में आकर अपना पासपोर्ट फाड़ देते हैं कोई किसी का भाई हो जाता है और कोई बहनोई । गृह मंत्रालय में ऐसे अनेकों मामले जांच के लिए लंबित पड़े हैं, लेकिन बाहरी आदमी का आसानी से पता नहीं चल पाता, इन्हीं लोगों में कोई लश्करे तैय्यबा का प्रशिक्षित आतंकवादी होता है और कोई सिमी के लिए काम करने लगता है गाजियाबाद का मोदीनगर व मुरादनगर भी इससे अछूता नहीं हैै।

गाजियाबाद में तो आतंकवादियों के अनेक ठिकाने हैं, जिसका पता इस बात से चलता है कि इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 को छुड़ाने के लिए कंधार ले जाकर रिहा कराए गए शेख उमर सईद, जिसने 1995 मे 3 विदेशी पर्यटकों का अपहरण भी किया था, को एसटीएफ ने गाजियाबाद के मसूरी मेें उसके ठिकाने से गिरफ्तार किया था ।

यह इलाका लाखों के इनामी कुख्यात आतंकवादी अब्दुल करीब टुंडा के प्रभाव का है, टुंडा पिलखुवा का रहने वाला है। इसके अलावा पिछले माह उत्तर प्रदेश पुलिस स्पेशल टास्कफोर्स के हाथों मारे गए सलीम सालार उर्फ डाक्टर को भी पुलिस ने गाजियाबाद के लोनी में ही दबोचा था। अभी कछ दिनों पहले पुलिस के जवाहर लाल स्टेडियम के पास हुई मुठभेड़ में मारा गया पाकिस्तानी खुंखार आतंकवादी अबू हम्जा बल्लभगढ़ की जगदीश कालोनी में राजेश नाम से छात्र बनकर रह रहा था, बाद में उसके कमरे से पुलिस ने कई एके 56 राइफलें सैकड़ों कारतूस हथगोले,आरडीएक्स और बम बनाने के सामान सहित सेटेलाइट फोन व कम्प्यूटर बरामद किया।

लश्कर व सिमी के आतंकवादी छात्र या सामान्य नागरिक की तरह रहते हैं उनके हावभाव से कोई भी नहीं कह सकता कि वे आतंकवादी होंगे,लेकिन जब वे वारदात कर जाते हैं तो पता चलता है कि पड़ोस में एक आतंकवादी रहता था।

ये आतंकवादी आईटी तकनीक के भी जानकार होते हैं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मे 25 अप्रैल 1977 को प्रो. अमानुल्लाह सिद्ïदीकी द्वारा स्थापित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का नेटवर्क उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल,असम सहित दिल्ली तक फै ला हुआ है, उसके 400 पूर्ण कालिक सदस्य हैं और 20 हजार से अधिक लोग इसके गतिविधियों मे लिप्त हैं और 27 सिंतबर 2001 से आतंकवादी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित है। इन्हीं आतंकवादियों के कारनामे अब छोटे-छोटे कस्बों में भी दिखाई देने लगे हैं। मोदी नगर में बस में आरडीएक्स विस्फोट, मुरादनगर में सहारनपुर अंबाला पैसेंजर में बम विस्फोट, दुहाई में डीटीसी बस में बम विस्फ ोट आदि अनेक घटनाएं हैैं जो इस इलाके में आतंकवादियों के ठिकाने होने की पुष्टि करती हैं।

-चंद्र शेखर शास्त्री

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